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प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा को मिलेगा उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान

देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा को उत्तराखंड भाषा संस्थान द्वारा सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है। रवांल्टी भाषा में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए संस्थान द्वारा 30जून को आईआरडीटी सभागार सर्वे चौक देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रवांल्टा को उत्तराखंड गौरव सम्मान योजना के अंतर्गत गोविंद चातक पुरस्कार से सम्मानित करेंगे।

10 मई सन् 1966 उतरकाशी जिले के सरनौल गांव में जन्मे महावीर रवांल्टा साहित्य क्षेत्र में अब तक 38 पुस्तकों का सृजन कर चुके हैं। रंगकर्म व लोक साहित्य में गहरी रुचि के चलते रंग लेखन के साथ ही अनेक नाटकों में अभिनय व निर्देशन, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की ‘संस्कार रंग टोली’, ‘कला दर्पण’ व ‘विशेष बाल श्रमिक विद्यालय’ द्वारा कहानी ‘खुली आंखों में सपने’ व ‘ननकू नहीं रहा’ का सफल मंचन हो चुका है।देशभर कीअर्धशताधिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत व सम्मानित महावीर रवांल्टा की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन के साथ हीआकाशवाणी व दूरदर्शन से प्रसारित होती रही हैं। महावीर रवांल्टा के साहित्य पर अनेक विश्वविद्यालयों में लघुशोध एवं शोध प्रबंध प्रस्तुत हो चुके हैं।’भाषा’-शोध एवं प्रकाशन केन्द्र वडोदरा (गुजरात)के भारतीय भाषा लोक सर्वेक्षण, ‘उत्तराखण्ड भाषा संस्थान’ के भाषा सर्वेक्षण, ‘पहाड़’ के बहुभाषी शब्दकोश में रवांल्टी भाषा पर कार्य करने के साथ ही रवांल्टी में कविता व कहानी रचने तथा उसे विभिन्न माध्यमों से प्रचारित व प्रसारित करने की शुरुआत का श्रेय भी रंवाल्टा को ही जाता है।रवांई क्षेत्र की सुप्रसिद्ध लोकगाथा ‘गजू-मलारी’ पर ‘एक प्रेमकथा का अंत’ और लोककथा ‘रथ देवता’ पर ‘सफेद घोड़े का सवार’ जैसे पूर्णकालिक नाटक लिखने के साथ ही लोक साहित्य के संकलन व प्रकाशन का निरंतर प्रयास,रवांल्टी में ‘गैणी जण आमार सुईन’ और ‘छपराल’ रवांल्टा के प्रकाशित कविता संग्रह हैं। उनकी लघुकथा ‘तिरस्कार’ पर एक लघु फिल्म भी बन चुकी है।

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