शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने हेतु ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य ने किया शीतकालीन चारधाम यात्रा का श्रीगणेश

जगमोहन पोखरियाल
बड़कोट,UTTARKASHI, शीतकालीन चारधाम यात्रा को बढ़ावा देने हेतु ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने शीतकालीन चारधाम यात्रा का श्रीगणेश कर दिया है। उन्होंने अपने भक्तों के साथ बुधवार सुबह को हरिद्वार से यात्रा शुरू कर शाम को मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खुशीमठ पहुंच गए हैं। यहां शंकराचार्य सायंकालीन आरती में शामिल हुए।
शीतकाल में चारधाम के कपाट बंद रहते हैं। शीतकाल में चारधाम की प्रतिष्ठित चल मूर्तियों को शीतकालीन पूजन स्थलों में विधि-विधान से उत्सव सहित विराजमान कर दिया जाता है। इन स्थानों पर छह मास तक पूजा पाठ पारंपरिक पुजारी करते हैं।
चारधाम शीतकालीन पूजन स्थलों में भी यात्रा सुचारू रूप से चलाने हेतु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बुधवार को हरिद्वार में गंगा पूजन कर चार धाम यात्रा के लिए रवाना होते हुए शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत कर दी है।
हरिद्वार से शीतकालीन चारधाम यात्रा पर निकले ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का बड़कोट पहुंचने पर दिव्य, भव्य स्वागत किया गया। लोगों ने उनकी आरती उतारी। समाजसेवी विनोद डोभाल ने उनका अभिनंदन करते हुए कहा कि शीतकालीन यात्रा शुरू करने से निश्चित ही लोगों का आर्थिक विकास होगा तथा चारधाम के शीतकालीन प्रवास में चहल पहल रहेगी। व्यापार मंडल के नगर महामंत्री सोहन गैरोला ने भी उनका स्वागत किया।
इसके बाद शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने चारधाम के पहले शीतकालीन धाम मां यमुना के प्रवास खुशीमठ के लिए प्रस्थान किया। क्षेत्र के समाजसेवी महाबीर पंवार माही ने बताया कि खुशीमठ को फूल, मालाओं से सजाकर दिव्य एवं भव्य रूप दिया गया था। यहां शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का भव्य स्वागत किया गया। चारधाम यात्रा के प्रथम शीतकालीन धाम खुशीमठ में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पूजा अर्चना कर मां यमुना की आरती में भी प्रतिभाग किया।
शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने उत्तराखंड राज्य के कल्याण हेतु एक नई धार्मिक परंपरा की शुरुआत की है जिससे राज्य में धार्मिक आस्था के साथ ही यहां के निवासियों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।