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A क्लास के ठेकेदार के कारनामे, अतिरिक्त कक्ष निर्माण में लगा दी छेदनुमा टिन : कार्यदायी संस्था मौन !

नीरज उत्तराखंडी, ग्राउंड जीरो

पुरोला। शिक्षा के क्षेत्र में जहां आए दिन लोगों द्वारा लाखों-लाख रूपये डोनेशन देने की बात सुनी जाती है वहीं राजकीय महाविद्यालय मोरी में निर्मित एक अतिरिक्त कक्ष कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गया। कमीशनखोरों ने इस शिक्षा के मंदिर को भी नहीं छोड़ा। इस कक्ष के निर्माण को लेकर महाविद्यालय के प्राचार्य से लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि गत एक माह से आवाज उठा रहे हैं लेकिन मजाल क्या कि कोई इनकी बात सुने! हालांकि महाविद्यालय शिक्षक अभिभावक संघ के अध्यक्ष की शिकायत पर एसडीएम पुरोला ने एक जांच समिति का गठन कर दिया है।

काफी संघर्ष एवं जद्दोजहद के बाद वर्ष 2021 में मोरी ब्लाक में राजकीय महाविद्यालय की स्थापना हुई थी लेकिन विद्यालय भवन न होने के कारण व्यवस्था के तौर पर ट्राइसेम के भवनों में महाविद्यालय संचालित किया जा रहा हैं लेकिन यहां कक्ष, कक्षाओं का फिर भी अभाव बना हुआ है। इसको देखते हुए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की मांग पर सतलुज जल विद्युत निगम मोरी ने एक अतिरिक्त कक्ष निर्माण हेतु 16•47 लाख रूपये की धनराशि स्वीकृत की थी तथा अवस्थापना खंड उत्तरकाशी को कार्यदायी संस्था बनाया गया। कार्यदायी संस्था ने एक ठेकेदार के माध्यम से मानकों की अनदेखी कर अतिरिक्त कक्ष का निर्माण किया। अनुबंध के मुताबिक अतिरिक्त कक्ष 9×12 मीटर का बनाया जाना था जबकि ठेकेदार ने मनमानी कर 7×9 मीटर मापन का टिन शेड तैयार कर यहां से रफू चक्कर हो गए। इतना ही नही यहां घटिया गुणवत्ता की टिन/चादर लगाई गई। महाविद्यालय के प्राचार्य द्वारा जिलाधिकारी से इसकी शिकायत करने पर ठेकेदार ने इस टिन शेड को उखाड़ कर लम्बाई, चौड़ाई के मानक के अनुसार पुनः इसका निर्माण कर अतिरिक्त कक्ष तैयार तो कर दिया लेकिन टिन/चादर बहुत ही घटिया गुणवता व कुछ पुरानी टिन शेड की छेदनुमा लगा दी जिससे यहां बरसात का पूरा पानी अंदर टपक रहा हैं। सामाजिक कार्यकर्ता राज्य आंदोलनकारी विपिन चौहान ने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल में भी की थी लेकिन शिकायत का समाधान किए बिना अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री पोर्टल में इसका निस्तारण दिखाया गया है।

महाविद्यालय के छात्र नितिन, ऋतिक, नवोजा, सखिन्द्री आदि का कहना हैं कि महविद्यालय के अतिरिक्त कक्ष निर्माण में किए गए भ्रष्टाचार का खामियाजा उन्हे कड़ाके की सर्दी में खुले आकाश तले बैठ कर पढ़ाई करने को मजबूर हो कर भुगतना पड़ रहा है। टीन शेड में जो चादरे लगाई गई हैं उसमें छेद ही छेद है जिससे बरसात का पानी टपकने से उसमें बैठ कर अध्ययन करना मुश्किल है।

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