
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
Uttarkashi: पुरोला क्षेत्र का लाल चावल अपने औषधीय गुणों के लिए देश, दुनिया में प्रसिद्ध है, लेकिन इस विशेष उत्पाद के ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग को कुछ लोगों ने साजिशन किसी अन्य क्षेत्र का करने पर यहां लोगों में भारी रोष व्याप्त है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने शुक्रवार को डीएम को ज्ञापन सौंपकर जीआई टैग पुरोला करने की मांग की है।
पुरोला विकासखंड की रामा सिंराई और कमल सिंराई पट्टी लाल चावल उत्पादन के लिए लाल कटोरे के नाम से जानी जाती है। अपने विशिष्ट पौष्टिक एवं औषधीय गुणों के कारण इस चावल की देश, दुनिया में अच्छी मांग है। यह चावल पुरोला के लाल चावल के नाम से भी प्रसिद्ध है।अकेले पुरोला क्षेत्र में प्रति वर्ष करीब 7880 टन लाल चावल का उत्पादन किया जाता है। क्षेत्र के इस विशेष उत्पाद को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग दिलाने की मांग गत कई वर्षों की जा रही है। गत वर्ष इसे जीआई टैग प्रदान किया गया लेकिन वह किसी अन्य क्षेत्र से दिया गया है जबकि उस जीआई टैग में फोटोग्राफ्स कमल सिंराई व रामा सिंराई क्षेत्र के कास्तकारों के ही है। इस साजिशन को लेकर क्षेत्र के कास्तकारों एवं जनप्रतिधियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने इस साजिश में कुछ अधिकारियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं पर आरोप लगाया है कि उनके द्वारा यह षडयंत्र रचा गया है।
क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने शुक्रवार को उतरकाशी पहुंचकर इस संबंध में जिलाधिकारी डॉ०मेहरबान सिंह बिष्ट से मुलाकात कर उन्हे ज्ञापन दिया।
क्या है जीआई टैग
किसी भी क्षेत्र की पहचान उस क्षेत्र के क्षेत्रीय उत्पाद से होती है। जब देश-दुनिया में वह उत्पाद प्रसिद्ध होता है तो उसे प्रमाणित करने के लिए यह एक प्रक्रिया है, जिसे जीआई टैग कहते हैं।
पुरोला के लाल चावल के औषधीय गुण
पुरोला का लाल चावल शुगर फ्री होता है यह मधुमेह के रोगियों के लिए भी विशेष फायदेमंद है। यह कोलेस्ट्रॉल लेवल भी कम करता है साथ ही यह एंटीऑक्सीडेंट की गुणवत्ता से भरपूर होता है जोकि शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार होता है।
इस अवसर पर बलदेव असवाल, राजपाल पवार, सोवेंद्र पवार, राजेंद्र रावत, स्यालिक राम नौटियाल, देवेंद्र जयाड़ा , मेघनाथ सिंह , सुदामा प्रसाद, रामलाल नौटियाल आदि मौजूद थे।