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लालधान के बाद अब डीएम ने जनपद में काले गेहूं की खेती करने की मुहिम की शुरूआत की, काला गेहूं भी होता है शुगर फ्री 

पत्रिका न्यूज नेटवर्क 

उत्तरकाशी। गंगा घाटी में लालधान का उत्पादन सफल होने के बाद अब जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने जनपद में काले गेहूं की खेती करने की मुहिम शुरू कर दी है। सामान्य गेहूं की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक कीमत वाले काले गेहूं के जरिए किसानों की कमाई बढाने के लिए जिले में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने डुण्डा ब्लॉक के गेंवला (बरसाली) गांव पहुंचकर इस नई मुहिम से जुड़ने के लिए किसानों को प्रेरित किया और काले गेंहूं के बीज वितरित किए।

जिले में लाल धान के रकबे को गंगा घाटी तक विस्तारित करने की कामयाब पहल से प्रभावित किसानों ने इस नई मुहिम को लेकर काफी उत्साह दिखाया है। काले गेहूं के बीज आगामी नवंबर महीने में खेतों में बोए जाएंगे।

काले गेहूं में प्रोटीन और एंटी ऑक्सीडेंट व सामान्य गेहूं के मुकाबले इसमें एंटी ग्लूकोज तत्व ज्यादा होते हैं। ये शुगर के मरीजों के लिए फायदेमंद होता है। ब्लड सर्कुलेशन सामान्य रखता है। ट्राइग्लिसराइड तत्वों की मौजूदगी के कारण इसके इस्तेमाल से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है। मैग्नीशियम उच्च मात्रा में पाए जाने से शरीर में कोलेस्ट्राल का स्तर सामान्य बना रहता है। विशेषज्ञों का दावा है कि काले गेहूं के नियमित सेवन से शरीर को सही मात्रा में फाइबर प्राप्त होता है, जिससे पेट के रोगों में लाभ मिलता है। इसमें मौजूद फास्फोरस तत्व शरीर में नए ऊतक बनाने के साथ उनके रखरखाव में अहम भूमिका निभाते हैं।

काला गेहूं की खेती का चलन हाल के कुछ सालों से ही देश के कुछ चुनिंदा हिस्सों में शुरू हुआ है। नेशनल एग्रीफूड बॉयोटेक्नालॉजी इंस्टीट्यूट (नाबी) मोहाली को देश में काले गेहूं को विकसित करने का श्रेय जाता है। सामान्य गेेहूं से तिगुनी से भी अधिक कीमत में बिकने वाले वाले कालें गेहूं की बाजार में मांग दिनों-दिन बढती जा रही है।

काले गेहूं से किसानों की आजीविका के अवसरों में वृद्धि की संभावना को देखते हुए जिले में कृषि विभाग के माध्यम से काले गेहूं की खेती शुरू करने की मुहिम चलाने का निश्चय किया गया है। जिले के चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के कामदा गांव के प्रगतिशील किसान जय सिंह बिष्ट काले गेहूं उगाने का सफल प्रयोग कर चुके हैं। इस सफलता से जिले में काले गेहूं की खेती की बेहतर संभावना दिखी तो प्रशासन ने इसे बढावा देने के लिए जिले के डुण्डा व नौगांव ब्लॉक के कुछ गांवों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की कवायद शुरू कर दी है।

इस मुहिम के तहत जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला ने मुख्य कृषि अधिकारी जे.पी. तिवारी के साथ गेंवला गांव जाकर किसानों एवं महिला समूहों से इस संभावनाशील खेती को प्रयोग के तौर पर अपनाने का आग्रह किया। लाल धान की खेती की पिछली पहल की कामयाबी से उत्साहित किसानों ने प्रशासन एवं कृषि विभाग की इस नई पहल को हाथों-हाथ लिया। जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को काले गेहूं के बीज वितरित करते हुए कहा कि पारंपरिक खेती के साथ ही प्रयोग के तौर पर कुछ जमीन पर काले गेहूं की खेती कर ग्रामीणों को अपनी आजीविका में वृद्धि की संभावनाओं के विकल्पों को भी आजमाना चाहिए। इसके लिए कृषि विभाग किसानों को पूरा सहयोग करेगा और उत्पादित गेहूं की खरीद की जिम्मेदारी भी लेगा। यह प्रयोग सफल रहने पर अगले दौर में इसे ज्यादा विस्तार देने पर विचार किया जाएगा। जिलाधिकारी ने किसानों को जैविक एवं पारंपरिक अन्न की खेती के गुणकारी पहलुओं की जानकारी देते हुए इसे लाभकारी बनाए जाने के उपायों पर भी ग्रामीणों से चर्चा करतेे हुए कहा कि हमें खेती के तौर-तरीकों में अनुकूल बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहें।

इस मौके पर मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी ने किसानों को काले गेंहूं की खेती एवं इससे जुड़ी संभावनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि फसल प्रणाली में बदलाव लाकर किसानों की आमदनी को बढाने के लिए इस तरह के अभिनव प्रयासों को कामयाब बनाने में किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। लिहाजा विभाग उन्हें पूरा प्रोत्साहन देगा। उन्होंने कहा कि पिछले दौर में लाल धान की खेती के प्रयास को किसानों से मिली सराहना के बाद अब किसानों ने काले गेहूं की खेती में भी हाथ आजमाने को लेकर काफी उत्साह दिखाया है। गेंवला गांव में कालें गेहूं की खेती के लिए के प्रयोग में 15 किसानों का सहयोग लिया जा रहा है। इसके साथ ही नौगांव ब्लॉक में भी किसानों को इस मुहिम से जोड़ा जा रहा है।

ग्राम प्रधान बृजपाल सिंह रजवार सहित गेंवला के ग्रामीणें व महिला समूहों की सदस्यों ने उम्मीद जताई कि यह नई पहल किसानों के लिए बेहतर साबित हो सकती है, और भरोसा जताया कि वे इस मुहिम को कामयाब बनाकर अन्य किसानों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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