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अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु : शिवप्रसाद नौटियाल “शास्त्री”

पत्रिका न्यूज नेटवर्क 

पुरोला Uttarkashi, नगर के वार्ड न06 में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ के छठे दिन प्रसिद्ध कथावाचक पंडित शिवप्रसाद नौटियाल शास्त्री ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु अहंकार है, जब मनुष्य के मन में अहंकार का भाव पैदा होता है तब वह अपना समस्त जीवन का सर्वनाश कर देता है। उन्होंने कहा कि रावण, कंस आदि कई ऐसे असुर थे जिन्होंने अंहकार के मद में अपना विनाश करवाया।

स्वर्गीय सुरचना नौडियाल के वार्षिक श्राद्ध के अवसर पर नौडियाल परिवार द्वारा समस्त पित्रों के मोक्षार्थ आयोजित श्रीमद्भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथावाचक पंडित शिवप्रसाद नौटियाल शास्त्री ने कहा कि जब जीव में अभिमान आता है तो भगवान उससे दूर हो जाते है लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है। कथा में शनिवार को छठे दिन पंडित शिवप्रसाद नौटियाल ने कृष्ण बाल लीला, माखन चोरी व गोवर्धन पूजा के प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने बृजवासियों को मूसलाधार बारिश से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा। श्रीकृष्ण की माखन चोरी की लीला एवं बाल रूप का सुंदर वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने बाल अवस्था में ही कालिया नाग का मर्दन करके यमुना जी को पवित्र किया, पूतना, बकासुर आदि मायावी शक्तियों का अंत किया। इस अवसर पर यजमान श्रीमती शांति देवी धर्मपत्नी स्व0 डा0 शोभाराम नौडियाल, टीकाराम नौडियाल, चंद्रमोहन नौडियाल, जगमोहन नौडियाल, मनोज नौडियाल, नरेश नौडियाल, दीपक नौडियाल, मनमोहन नौडियाल, विनोद नौडियाल, भद्री प्रसाद नौडियाल, ओमप्रकाश नौडियाल आदि मौजूद थे।

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