श्रीमद्भागवत कथा के छटवें दिन नागराज मन्दिर में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
पुरोला,Uttarkashi : नगर के प्रसिद्ध नागराज मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन बुधवार को को कथा व्यास यमुना पुत्र सुरेश उनियाल ने कंस वध व रूकमणी विवाह के प्रसंगों का सुंदर व्याख्यान किया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में अनेकानेक बाल लीलाएं कीं। जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं, वही हरि हैं। उन्होंने कहा कि जब- जब जीव में अभिमान आता है भगवान उससे दूर हो जाते है लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है और उसे दर्शन देते है।
उन्होंने कहा कि नंद बाबा के यहां गोपियों का तांता लगा रहता था। गोपी भगवान से प्रार्थना करती है कि किसी न किसी बहाने कन्हैया मेरे घर पधारें। जिसकी भगवान के चरणों में प्रगाढ़ प्रीति होती हैं, वही जीव, जीवन मरण के बंधन से मुक्त होता है।
उन्होंने कहा कि भगवान हमारे अंदर ही आनंद रूप में विद्यमान है। लेकिन हम भौतिक वस्तुओं में आनंद ढूंढते रहते हैं। भगवान का ध्यान करने से यह आनंद स्वत: ही हमारे जीवन में प्रकट होने लगता है।
इस कथा में उन्होंने आज की युवा पीढ़ी को यह भी संदेश दिया कि माता-पिता की सेवा करना उनका परम कर्तव्य होना चाहिए। माता-पिता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है। माता-पिता रूपी तीर्थ की उपेक्षा कर तीर्थाटन करना बेकार है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों में माता-पिता का स्थान सर्वोच्च है। माता जन्म देने के साथ ही प्रथम गुरु का कार्य करती हैं। पिता पालनकर्ता होता है। इनसे पोषित होने के बाद ही हम दुनिया को जानते हैं। उन्होंने कहा कि माता पिता के श्रीचरणों में नतमस्तक होने से यश, विद्या, आयु और बल का विकास होता हैं।
कथा के छटवें दिन श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब
छटवें दिन कथावाचक सुरेश उनियाल ने गोपी गीत, रास लीला, मथुरा गमन, कंस वध, रुक्मिणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय व्याख्यान कर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर किया।
यमुना पुत्र ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था। कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा। 11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाई। कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के पिता अपने नाना उग्रसेन महाराज को भी बंदी कारागार से मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया।
इस अवसर पर नगर पंचायत के निवर्तमान अध्यक्ष हरिमोहन नेगी, नागराज मंदिर समिति के मुख्य संयोजक बद्री प्रसाद नौडियाल, अध्यक्ष मदन नेगी, सचिव जयवीर रावत, नगर व्यापार मंडल अध्यक्ष बृजमोहन चौहान, कमलेश्वर महादेव मंदिर समिति के अध्यक्ष बृजमोहन चौहान, समाजसेवी प्रकाश कुमार डबराल, डाक्टर राधेश्याम बिजल्वाण, रोशन बिजल्वाण, राजेन्द्र गैरोला, पूर्व प्रधान सोवेन्द्र सिंह राणा, अमीन सिंह रावत, नवीन गैरोला, पृथ्वी रावत, बिहारी लाल शाह, कुलदीप बिजल्वाण, सेवानिवृत्त खंड विकास अधिकारी राजकुमारी, जयेंद्र रावत, मौजूद थे।
श्रीमद्भागवत कथा में स्वैच्छिक सेवाएं दे रही बहिन ललिता राणा, सुनीता गैरोला, रामप्यारी रतूड़ी, विनोद असवाल, रेखा रावत, जशोदा राणा, शकुन्तला, रंजीता चौहान, ममता आर्य, ममता रतूड़ी, राजुली बत्रा, कविता गैरोला, मधु जगूड़ी, सुशीला जोशी, सरोज नेगी, सुधा दोरियाल, संगीता रावत, सुनीता रांगड़, रंजना चौहान, पूजा, सुषमा, ममता रावत, कल्पना, राखी, पूनम, लायबरी, रेखा चौहान, वन्दना बडोनी को व्यासपीठ द्वारा सम्मानित किया गया।