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बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होते ही आज चारधाम यात्रा 2023 का हुआ समापन 

पत्रिका न्यूज नेटवर्क 

बदरीनाथ धाम:18 नवंबर। विश्वप्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट आज शनिवार अपराह्न तीन बजकर तैतीस मिनट पर पूजा- अर्चना पश्चात कार्तिक शुक्ल षष्ठी श्रवण नक्षत्र में शीतकाल हेतु बंद हो गए है। कुछ दिन पहले हुई बर्फबारी के बाद आज मौसम साफ रहा, दिन में धूप खिली रही यद्यपि दूर चौटियों पर बर्फ साफ देखी जा सकती है।

कपाट बंद के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया था तथा सिंह द्वार परिसर में गढ़वाल स्काउट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ गुंजायमान हो रहा था‌। जय बदरीविशाल के उदघोष गूंज रहे थे।

कपाट बंद के समय साढ़े पांच हजार से अधिक श्रद्धालुजन तीर्थयात्री कपाट बंद होने के साक्षी बने। बदरीनाथ पुष्प सेवा समिति ऋषिकेष ने मंदिर को फूलों से सजाया। इस अवसर पर दानीदाताओं,भारतीय सेना ने तीर्थयात्रियों के लिए भंडारे का आयोजन भी किया था।

कपाट बंद के पश्चात बदरीनाथ से रविवार 19 नवंबर प्रात: श्री उद्धव जी,श्री कुबेर जी की देव डोली पांडुकेश्वर तथा आदिगुरू शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगी।

कपाट बंद होने के शुभ अवसर पर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति(बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा तथा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा- निर्देशन में इस यात्रा वर्ष बदरीनाथ- केदारनाथ यात्रा ऐतिहासिक रही है। इस बार सबसे अधिक अड़तीस लाख रिकार्ड तीर्थयात्री बदरी- केदार पहुंचे है।जिनमें से आज कपाट बंद तक 18 लाख चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है। उन्होंने यात्रा में योगदान करने वाले सभी व्यक्तियों, संस्थानों का धन्यवाद ज्ञापित किया है।

उल्लेखनीय है कि कपाट खुलने की तिथि से 17 नवंबर शुक्रवार देर रात तक 18 लाख 36 हजार 5 19 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है जोकि पिछले सभी यात्रा वषों में सबसे अधिक है

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से शुरू हो गयी थी इस दिन श्री गणेश जी के कपाट बंद हुए, 15 नवंबर को आदि केदारेश्वर तथा आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद हुए, 16नवंबर को खडगपुस्तक पूजन तथा 17 नवंबर को महालक्ष्मी जी की पूजा कढाई भोग संपन्न हुआ 18 नवंबर रोज की तरह प्रात: महाभिषेक के बाद बालभोग लगा दिन में 11 बजे राजभोग लगा उसके बाद मंदिर बंद नहीं हुआ, पोने एक बजे अपराह्न शायंकालीन पूजा शुरू हुई। पौने दो बजे रावल जी ने स्त्री रूप धारण कर लक्ष्मी जी को बदरीनाथ मंदिर गर्भ गृह में विराजमान किया। इससे पहले श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी मंदिर प्रांगण में विराजमान हुए। सवा दो बजे शायंकालीन भोग तथा शयन आरती संपन्न हुई। ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक रावल द्वारा कपाट बंद की रस्म पूरी करते हुए भगवान बदरीविशाल को माणा महिला मंडल द्वारा हाथ से बुना गया ऊंन का घृत कंबल औढा़या।

तीन बजकर तैतीस मिनट पर बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह तथा मुख्य सिंह द्वार के कपाट रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी द्वारा शीतकाल हेतु बंद कर दिए गए।

उल्लेखनीय है कि गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट 14 नवंबर को बंद हो गए है तथा केदारनाथ धाम तथा यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज के अवसर पर 15 नवंबर को बंद हो चुके है इस तरह चारधाम यात्रा 2023 का समापन हो गया है।

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