
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
पुरोला, Uttarkashi: मैती आंदोलन के प्रणेता पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि बच्चे देश के भाग्य विधाता है। उन्होंने छात्र, छात्राओं का आह्वान किया कि उन्हे पढाई के साथ ही पयार्वरण संरक्षण के क्षेत्र में भी कार्य करते रहना चाहिए।
राजकीय इंटर कालेज हुडोली में आयोजित पीएमश्री कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए पद्मश्री कल्याण सिंह रावत का यहां छात्र छात्राओं सहित शिक्षकों द्वारा फूल, मालाओं के साथ उनका भव्य स्वागत किया गया। छात्र, छात्राओं को संबोधित करते हुए पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। कभी इसे सोने की चिड़िया कहा जाता था यहां ज्ञान, विज्ञान का अपार भंडार हमारे ऋषि मुनियों ने हमारे लिए संजोए के रखा हुआ था जोकि आतताइयों ने नालंदा, तक्षशिला जैसे विश्व विद्यालयों को नष्ट करने का भरपूर प्रयास किया, किन्तु आज पुनः हमारा देश विकास की ओर अग्रसर है, हम पुनः वह बैभव लौटा सकें, इसके लिए हम सबको प्रयास करना पड़ेगा।
मैती आंदोलन के प्रणेता ने कहा कि वर्तमान गणतंत्र दिवस की परेड में 40 प्रतिशत बेटियों के द्वारा प्रदर्शन किया गया, फाइटर विमान उड़ाने से लेकर चंद्रयान को चन्द्रमा पर उतारने में हमारी – बेटिया आगे है, जो हमारे लिए बड़े गौरव की बातें है। रावत ने पर्यावरण पर चित्ता व्यक्त करते हुए कहा कि हम यदि नहीं जागे तो आने वाला समय भयावह होगा, ग्लेशियर पिघलेंगे, समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा, जो मानव जाति के लिए भयावह होगा। प्लास्टिक उन्मूलन पर छात्रों को उसके कुप्रभावों को विस्तृत रूप में बताया, वृक्ष हमें जीवन दान देते हैं’, ‘उनका संरक्षण और संवर्धन करना हमारा कर्तव्य है, तभी मनुष्य जाति-को बचाया जा सकता है। उन्होंने उनके द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम – “मैती” पर भी छात्र, छात्राओं को विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि मैती सिर्फ मायके में नहीं बल्कि लड़किया ससुराल में भी मैती वृक्ष का आरोपण करें, तथा संरक्षण भी करें। कार्यक्रम में मैती वृक्ष रोपण हेतु सभी को शपथ भी दिलाई गई।
विद्यालय के प्रधानाचार्य एलपी सेमवाल ने पद्मश्री कल्याण सिंह रावत का आभार व्यक्त करते हुए उन्हे शाल भेंट कर सम्मानित भी किया। कार्यक्रम का संचालन गुलाब सिंह रावत ने किया।
इस अवसर पर सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य राम सिंह खत्री, जगजीवन शाह, शांति दौरियाल, विनोद कुमार, आरके शर्मा, सुरेन्द्रराम औतार, निशा, विजेता, सुचिता, बबिता, हिमांशु, भरत सिंह आदि शिक्षक शिक्षिकाएं मौजूद थे।