आवारा पशुओं का ट्रीटमेंट भी कर रहें हैं 1962 पशु एंबुलेंस सेवा के चिकित्सक

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
देहरादून: उत्तराखंड में आवारा कुत्तों के इलाज के लिए कई एनजीओ (गैर सरकारी संगठन) काम कर रहें हैं लेकिन हकीकत देखी जाए तो अधिकांश केवल कागजों में ही संचालित किए जा रहें हैं। ये एनजीओ कुत्तों को आश्रय, चिकित्सा देखभाल, और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करने के नाम पर लाखों रूपए एकत्रित कर रहें हैं लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है।
देहरादून के रायपुर ब्लॉक के गढ़ी कैंट क्षेत्र में कुछ महिलाएं गत दिनों एक आवारा कुत्ते के इलाज के लिए परेशान थी। इन महिलाओं ने कुत्ते के इलाज के लिए बहुत जगह पता किया तथा कुछ एनजीओ से भी संपर्क किया कि कुत्ते का उपचार कैसे किया जाए! लेकिन कहीं से भी उनको मदद नहीं मिली, फिर इन महिलाओं ने प्रदेश सरकार द्वारा संचालित पशु एंबुलेंस सेवा 1962 पर कॉल की। काॅल करने के बाद रायपुर ब्लॉक की पशु एंबुलेंस सेवा 1962 की टीम डाॅ0 नेहा सिंह के नेतृत्व में इनके घर पहुंची तथा कुत्ते का इलाज किया।
कुत्ते को देख कर पता चला कि उसको एक viral disease है जो की एक लाइलाज बीमारी है। टीम द्वारा कुत्ते का ट्रीटमेंट किया गया तथा उन लोगों को जानकारी दी गई कि इस बीमारी को कैसे दूसरे कुत्तों में होने से रोका जाएं। आवारा कुत्तों को प्यार, देखभाल और बेहतर ज़िंदगी जीने का मौका मिलना चाहिए। अक्सर सड़क पर होने वाली कठिनाइयों के कारण वे कुपोषित, बीमार या घायल हो जाते हैं : डाॅ0 नेहा सिंह 1962 पशु एंबुलेंस सेवा रायपुर, देहरादून।